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Saturday, October 2, 2010

कल उन्होंने फिर याद किया


जो छोड़ गए थे साथ कभी, कल उन्होंने फिर याद किया
गिले शिकवे छोड़ सभी, संयम से हमने काम लिया. 
इधर उधर की बात हूई, फिर जिंदगी-ए-हाल भी बया हुआ, 
चंद लम्हों से ही सही, पर शुक्र है फिर उस रिश्ते का आगाज़ तो हुआ.



6 comments:

Priyanka said...

Beautiful lines bhai.... pls change your profession.. you are a born writer :)

Vipul Pathak said...

@priyanka will surely consider to take writing seriously.

Urmilesh said...

Really nice lines Sir..

Vipul Pathak said...

Thanks Urmilesh...

Urmilesh said...

बात छेड़ी तो उठ गई महफ़िल
उनसे जो बात थी बताने की

साज़ उठाया तो थम गया ग़म-ए-दिल
रह गई आरज़ू सुनाने की

चाँद फिर आज भी नहीं निकला
कितनी हसरत थी उनके आने की

Vipul Pathak said...

मुदत्तो बाद उनसे बात हूई तो धम गयी ज़मी और धम गयी धरकन
फूल खिले, चिड़िया चेह्की, जाग गया रोम-रोम और चमक उठा कण कण

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Thanks for taking out the time...........

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