जो छोड़ गए थे साथ कभी, कल उन्होंने फिर याद किया
गिले शिकवे छोड़ सभी, संयम से हमने काम लिया.
इधर उधर की बात हूई, फिर जिंदगी-ए-हाल भी बया हुआ,
चंद लम्हों से ही सही, पर शुक्र है फिर उस रिश्ते का आगाज़ तो हुआ.
गिले शिकवे छोड़ सभी, संयम से हमने काम लिया.
इधर उधर की बात हूई, फिर जिंदगी-ए-हाल भी बया हुआ,
चंद लम्हों से ही सही, पर शुक्र है फिर उस रिश्ते का आगाज़ तो हुआ.
6 comments:
Beautiful lines bhai.... pls change your profession.. you are a born writer :)
@priyanka will surely consider to take writing seriously.
Really nice lines Sir..
Thanks Urmilesh...
बात छेड़ी तो उठ गई महफ़िल
उनसे जो बात थी बताने की
साज़ उठाया तो थम गया ग़म-ए-दिल
रह गई आरज़ू सुनाने की
चाँद फिर आज भी नहीं निकला
कितनी हसरत थी उनके आने की
मुदत्तो बाद उनसे बात हूई तो धम गयी ज़मी और धम गयी धरकन
फूल खिले, चिड़िया चेह्की, जाग गया रोम-रोम और चमक उठा कण कण
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Thanks for taking out the time...........