अक्सर दिखती हैं मुझे वो आँखें
कुछ भीगी सी,
कुछ सूखी सी
गमो को छुपाती
हंसी बिखेरती आँखें
हाँ,अक्सर दिखती है मुझे वो आँखें
कुछ कहना
कुछ सुनना चाहती
भीड़ भरी दुनिया मे
एक हमसफ़र ढूँढती आँखें
हाँ, अक्सर दिखती है मुझे वो आँखें
कुछ यादें भुलाना
कुछ संजोये रखना
अतीत के पन्नो मे
मुसकुराहतें ढूँढती आँखें
हाँ, अक्सर दिखती है मुझे वो आँखें
थोड़ी डरी डरी सी
थोड़ी निडर सी
ज़िंदगी से ऊबी
ज़िंदगी जीना चाहती आँखें
हाँ, अक्सर दिखती है मुझे वो आँखें
अपनो पर सब निछावर करती
रोज़ नये सपने सजाती
अपनी पहचान ढूँढती
एक मुकाम पाना चहती आँखें
हाँ, अक्सर दिखती है मुझे वो आँखें
A girl regularly posts her snap on Facebook.com. Her snaps inspired me to compose this.