आज फ़िर नींद ना जाने कैसे ,
रास्ता अपना भटक गयी।
और चांद से बात करते करते ,
सूरज से मुलाकात हो गयी।
मैंने तो ज़िक्र नहीं किया
फ़िर ना जाने कैसे उनकी बात छिड गयी।
और बांतो ही बांतो में
सारी रात गुज़र गयी।
रास्ता अपना भटक गयी।
और चांद से बात करते करते ,
सूरज से मुलाकात हो गयी।
मैंने तो ज़िक्र नहीं किया
फ़िर ना जाने कैसे उनकी बात छिड गयी।
और बांतो ही बांतो में
सारी रात गुज़र गयी।
3 comments:
Good one :)
well keep at it ...hope you earn good dough
@Vishrut and @Keevin
Thanks :)
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Thanks for taking out the time...........