तेरे मेरे बीच कुछ तो बात हैं,
कुछ जजबात और कुछ अनकहे अलफ़ाज़ हैं।
तारुफ़ नही रखते अब,
फ़िर भी रोज़ आता एक दूजे का खयाल हैं।
पढ़ लेते हैं चेहरा और जान लेते है दिल कि बात,
फ़िर भी बने हुऐ अनजान हैं।
एक दूजे की ज़िंदगी है,
फ़िर भी इज़हार से ऐत्राज़ हैं।
ना जाने क्यों रुके हुऐ है कदम,
ना जाने किस बात का इंतेज़ार हैं।
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Thanks for taking out the time...........